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वक्त के साथ साथ बद्ल जाते हे लोग

 वकत के साथ साथ... 


वक्त के साथ साथ लोग बद्ल जाते  हे विश्वास सवाल जवाब स्मज ने वाले ओर समजाने वले बच्पन मे हमारे feeling के हमरे presans के अलाव हमारे teature भी थे हमे येसे सम जते थे कि कभी इकी तर बनु इन्की तरा सुभ 7 बजे आकर सुभह. बस इन कि तर्ह नही बनना  

     i remeber 5th class कि बाथ हे normal स दिन था ओर normal सि lanch मे मेरे पास वल्ले   च

class के friend थी  मेरे सथ lunch

करने वली थी  मेरे साथ but इस दिन मे different ये था की आइ तो थी पर मेरे सथ नही बेटि दूसरे लोगो के साथ बते  करने

लगी वनिका ना येक दिन teacture बनेगी येकदम मटक मटक कर चलती हे ओर सब को गान देती हे ओर teacture के भि दुलरी ये पका इनि की तरह बनेगी 

       मेकू ना गुसा आ गया ये केसे बोल सकती हे मे जआब देने ही वली थी इथने ने मुजे realise हुआ कि

बकि सुब मुजे हि देख रहे थे ओर मुजपे हास रहे थे येसका तो येसा ही हे उस दिन ना बहुत जदा गुसा आय की सुब कुच cntrol करके मे ना teature नहि बनू गी कुछ भी करुगी पर teature नही बनुगी 

        केसे बिना सिचे समजे ये बोल दिया कि teature ना felear 

होते हे सरे दरवजे बध होते हे तब जके ओ teature बनते  हे फ़िर वक्त बदला चिजे बद्लि फ़िर जके चिजो को समज ना सिखा  

     कुध कि हजार feliar के साथ हमे ssucess fool बनता हे teature साथ हमे भि सहि हे य गलत ये हमे teature ही सिखाता हे येक teature हमे जिना सिखाता हे  कितनी असानी से हम कहते हे ना teature feliar होते हे 

        तो अगली बार कुछ सोच ने  पहले किसि. कीसी भी चिज कि disrepect कने से पहले ये समजो  कि वक्त के साथ साथ हमारा समने का नजिया भी बद्लेगा जो हम आज नही समज ते ओ अग्गे जके समने लगे किसी चिज की येहमियत आज नही काल समज अये तो अज भी उस् कि disrepect नही करते ना.....

      .....shweta patil.... 

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